क्यो मन अब मेरा गुमसूम रहता है?
ना जाने क्यो अब ये तनहा महसूस करता है?
मेरी तलाश कब रुके, कब मिले दिलको राहत?
कया कहे तुजसे ऐ जालिम, कितनी हमे है तुजसे चाहत।
क्यो अब मेरी ये आँखे तुजको धुंडती है?
तू रहे सामने, तो इन्हे जन्नत दिख जाती है।
धूंडे हर जगह, कही तो महसूस हो तेरी आहट।
क्या कहे तुजसे ऐ जानम, कितनी हमे है तुजसे चाहत।
क्यो धडकने को वैसे ये दिल धडकता है?
लेकिन सासों पर मेरे फिर भी सिर्फ तेराही पहरा है।
खुदा की है तु प्यारी सी बनावट।
कया कहे तुजसे ऐ सनम कितनी हमे है तुजसे चाहत।
क्यों मेरी ये जिंदगी अब मेरी नही है?
क्यों यादों मे मेरी तू बसी रहती है?
अब अपने दिल मे बस जाने, की दे मुझे तु इजाजत।
मुझे करनी है तुजसे, सिर्फ तुजसे बेइंतहा मोहब्बत।
" आपका गाँडफ्री "
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2 comments:
Godfrey... It was really good.. I don't expect a guy to write in such a good way.....
Really nice Poem.Touching Words.
Keep it Up
Darshana
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